*विकास की गति और बड़े बड़े सरकारी दावों की खुली पोल,15 वर्षों से दोबारा नहीं हुई सड़क की मरम्मती*

*डिजिटल युग में भी लोग पानी एवं सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से है वंचित*

संवाददाता उधवा।सरकार गांव में विकास की गति देने के लिए बड़े बड़े वादे और सैकड़ों योजना चलाने की दावा तो करते है। लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है।आज भी लोग पानी एवं सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।हम बात कर रहे हैं, साहेबगंज जिले के उधवा प्रखंड क्षेत्र के मोहनपुर पंचायत अंतर्गत तीनघरिया गांव की।

आजादी की 75 वर्ष बाद भी लोग मूलभूत एवं बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। गांव में सरकारी योजनाओं का लाभ धरातल पर नहीं दिखाई दे है।प्रखंड मुख्यालय से महज 1 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम पर स्थित तीनघरिया गांव है।इस गांव में लगभग 150 परिवार जिसकी आबादी करीब 7 से 8 सौ लोग निवास करते हैं।

इस गांव में मुस्लिम, दलित एवं आदिवासी बहुल क्षेत्र है।गांव के ज्यादातर लोग खेती में मजदूरी कर जीवन निर्वाह करते हैं। इस गांव में जाने के लिए उधवा बरहरवा एनएच 80 से करीब दो सौ मीटर अंदर जाना पड़ता है। इस गांव में जाने आने का एक मात्र मुख्य सड़क मोरंग एवं पत्थर से बनी ग्रेड 1 सड़क है। इस सड़क इस कदर जर्जर हो चुकी है कि मोटर गाड़ी आसानी से चलना तो दूर पैदल चलने भी दूशभर है।

सड़क से पत्थर निकलकर बाहर आ चुके हैं,पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि यह सड़क का निर्माण आज से करीब 15 वर्ष पूर्व मनरेगा योजना के तहत बनाया गया है,तब से लेकर आज तक दोबारा मरम्मत नहीं किया गया है।

गांव में एक प्राथमिक विद्यालय विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र है। बच्चों को पढ़ने के लिए करीब 2 किलोमीटर दूरी तय कर किस्टोपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय में जाना पड़ता है। गांव में इन दिनों पानी की भारी किल्लत है। तीन चापाकल खराब हो चुकी है, एक सोलर पैनल संचालित जलमीनार गांव में शोभा की वस्तु बनकर रह गई है।

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